Anganwadi Employees DA Hike Confirmed : उच्च न्यायालय ने आंगनवाड़ी में कार्यरत महिला कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। न्यायालय ने आंगनवाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के मासिक मानदेय में बड़े पैमाने पर वृद्धि करने का आदेश जारी किया है। यह फैसला राज्य भर में कार्यरत हजारों कर्मचारियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखता है। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि इन कर्मचारियों को उनके कार्य के अनुरूप उचित मेहनताना मिलना आवश्यक है, क्योंकि वर्तमान में दी जाने वाली राशि अत्यंत न्यून और असंतोषजनक थी।

नवीन वेतन संरचना का विवरण
न्यायालय के ताजा आदेश के मुताबिक आंगनवाड़ी सेविकाओं को मिलने वाला मासिक मानदेय ₹10,000 से बढ़ाकर ₹24,800 रुपये प्रतिमाह किया गया है। इसी प्रकार सहायिकाओं का मानदेय ₹5,500 से बढ़ाकर ₹20,300 रुपये मासिक निर्धारित किया गया है। यह वेतन वृद्धि इन समर्पित कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग का परिणाम है। माननीय न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी हालत में इस राशि से कम भुगतान नहीं किया जा सकता।
न्यायाधीशों का महत्वपूर्ण अवलोकन
मामले की सुनवाई के समय माननीय न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया एवं आर.टी. बचहानी की संयुक्त खंडपीठ ने विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि आंगनवाड़ी सेविकाएं समाज में अत्यधिक आवश्यक सेवाएं प्रदान करती हैं। ये महिलाएं नवजात शिशुओं, गर्भवती माताओं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करती हैं, साथ ही ग्रामीण इलाकों में विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इतनी विशाल जिम्मेदारियां निभाने के पश्चात भी उन्हें मिलने वाला मानदेय इतना अपर्याप्त था कि उनके परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भी कठिन हो रही थी।
संवैधानिक मूल्यों की रक्षा
न्यायालय ने अपने निर्णय में उल्लेख किया कि अपर्याप्त मानदेय देना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीवन के अधिकार का सीधा उल्लंघन है। प्रत्येक नागरिक को सम्मानजनक जीवन व्यतीत करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है, और यह केवल तभी संभव है जब उसे उचित आजीविका के माध्यम उपलब्ध हों। न्यायालय ने इस पहलू को गंभीरता से लेते हुए आंगनवाड़ी कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का दायित्व निभाया है।
लागू होने की तारीख एवं व्यापकता
न्यायालय के निर्देशानुसार संशोधित वेतन संरचना वर्तमान वित्तीय वर्ष से प्रभावी होगी। यानी 1 अप्रैल 2025 से समस्त आंगनवाड़ी सेविकाएं एवं सहायिकाएं नवीन वेतनमान की हकदार होंगी। इसके साथ ही उन्हें बकाया धनराशि का भुगतान भी सुनिश्चित किया जाएगा। अनुमान के अनुसार इस निर्णय से गुजरात राज्य की लगभग एक लाख से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लाभान्वित होंगी, जो एक महत्वपूर्ण संख्या है।
जीवन गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार
न्यायालय की राय के अनुसार उचित मानदेय प्राप्त होने से इन कर्मचारियों के परिवारों की आर्थिक दशा में सुधार होगा। पहले दी जाने वाली राशि उनके कार्यभार और समर्पण के सापेक्ष न्यायसंगत नहीं थी। न्यायालय ने इसे न केवल अनुचित करार दिया है, अपितु कर्मचारियों के आत्मसम्मान के विरुद्ध भी माना है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश राज्य की संपूर्ण आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं पर समान रूप से लागू होगा।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
कानूनी जानकारों का मत है कि यह निर्णय केवल गुजरात तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि संपूर्ण देश की आंगनवाड़ी कर्मचारियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा। वर्षों से न्यूनतम मानदेय की मांग करती आ रही इन महिला कर्मचारियों के लिए यह फैसला उनके जीवनस्तर में सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। यह निर्णय अन्य राज्यों में भी समान मांगों को बल प्रदान करेगा।